Tuesday, March 26, 2019

किमत भारत माँ की... Hindi Kavita... Hindi Poem... हिंदी कविता... Bharatmata... India...


किमत भारत माँ की ज्यादा हैं मेरे सर के आगे
जानता हूं, हमेशा जीत हीं होती हैं डर के आगे
 

हमारे अपनोंने ही तोड दिये हमसे दिल के सारे रिश्ते
क्यूं जाऊं मैं मेरे मतलबी अपनों के घर के आगे
 

माँ के चरणों में सर झुकाकर पा लिया मैंने आशिष
बढूंगा मैं अपने मुकाम पर अब जी भर के आगे
 

क्या खुश्बू, क्या बहारें, क्या नजारें फिके हैं सब
निछावर जान कर दी मैंने, मिट्टी की कसम के आगे
 

हमेशा रहना हैं मुझे तेरे साथ हीं, खुशी से तेरे मन में
क्या अगला जनम होता हैं, इस जनम में मर के आगे
 
 
 
 

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