तेरे मेरे बीच में रहता क्यूं है अंतर
फिर भी मेरी चाहत तुम ही हो निरंतर...
मुझे तुम्हारी तरफ खिंचती कोई डोर
किये थे कितने वादे, तुम सारे भूल गई
क्यूं हमारी मोहब्बत पानी में धूल गई ?...
चला आया था तुम्हारे पास, तुम थीं नहीं
ढुंढा तुम्हें कई ओर, तुम दिखी नहीं कहीं...
क्यूं किये थे वादे, क्यूं लडाऐ थे नैन
क्यूं चुराया था तुमने मेरी रातों का चैन...
रोता हूं याद आती तुम्हारी हर बातमें
मुझे तनहा छोड दिया भरी बरसातमें...
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