Thursday, May 16, 2019

नैंनों में प्यास... Thirst in Eyes... Hindi Kavita... Hindi Poem... हिंदी कविता...



नैंनों में प्यास भरने लगी हैं
मेरी आंखोंसे झरने लगी हैं

लौट आओ अभी घर को भैया
माँ तुम्हें याद करने लगी हैं

आया शायद बुढ़ापा मुझे भी
खुद से परछाई डरने लगी हैं

याद तेरी सताने लगी हैं
यूं जुदाई में मरने लगी हैं

कह ना पायीं 'उमा' ये ग़ज़ल क्यों ?
कोशिशें सारी हरने लगी हैं 

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