Tuesday, September 10, 2019

गिले-शिकवे... Hindi Kavita... Hindi Poem... हिंदी कविता...








कहाँ चले गए तुम
मुझे यूं अकेले छोड के
मुझसे ना रूठा करो
यूं ना जाओ मुँह मोड के...
 

कहते थे, तुम मेरी हो
मेरे सपनों की परी हो
बस इक हैं, जगह तुम्हारी
तुम मेरे मन में भरी हो...
 

पर तुमको ये पता नहीं
मेरे मन में तो तुम हो
मेरे खयालों में तुम हो
मेरी रातों में, दिन में हो...
 

मैं आऊंगी तुम्हें मिलने
मैं ना रूठूंगी तुमसे
और मैं तुम्हें मनाऊंगी
फिर क्यूं तुम रूठे मुझसे...
 

छोड कर सारे गिले-शिकवे
आ जाओ मेरी बाहों में
तुम्हें लिपटकर सोऊं मैं
तुम ही तुम हो पनाहों में...
 
 

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