Thursday, August 1, 2019

मेरे मन को... Hindi Kavita... Heart... Hindi Poem... हिंदी कविता...







मेरे मन से उतरकर,
जब तू बसता हैं मेरी सांसों में...

मैं मुझे नहीं जान पातीं...
क्या हो रहा हैं मेरे अंदर... ? 
मेरे तन-बदन में... 
समझ नहीं आता हैं मुझे... ?

बस...
तेरी सांसों को मेरे अंदर
समेटना अच्छा लगता है मुझे...

तुझे लपेटकर सोना 
बहुत भांता हैं मेरे मन को...


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