Tuesday, November 12, 2019

तुम्हारा चेहरा... Your face... हिंदी कविता... Hindi poem...




तुम्हारा चेहरा
पढ़ सकती हूं मैं
आखिर तुम्हारी
माँ जो हूं...

नन्हें कदम जब
थक कर सो जाते थे
मेरी पनाहों में
तब उन्हें थपथपाती थीं मैं...
सहलाती थीं मैं...

छोटी उँगलियाँ पकड़कर 
चलना सिखाया था 
मैंने तुम्हें...

तुम्हारा दर्द,
पीड़ा, क्लेश
सब-सब 
सिर्फ तुम्हें देखकर
समझ जाती हूं मैं..

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